‘थंडर थाईज़’ से सिटी बजा तक: रवीना टंडन का 90s ड्रामा और बॉडी-शेमिंग का खतरनाक खेल!

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रवीना टंडन के 90 के दशक के बॉलीवुड करियर में एक बड़ा और संवेदनशील मुद्दा था: बॉडी-शेमिंग और उससे जुड़ा ड्रामा। उस दौर में गोसिप मैगज़ीनें इतनी प्रभावशाली थीं कि उनकी सुर्खियाँ सीधे एक्टर की निजी ज़िन्दगी और आत्म-सम्मान पर चोट करती थीं। रवीना ने हाल ही में अपने करियर पर इन मैगज़ीनों के प्रभाव का खुलासा किया, खासकर जब उनकी टांगों के लिए उन्हें “थंडर थाईज़” जैसे ताने-कमाने सुनने पड़ते थे।

90s के एंटरटेनमेंट जगत में:

  • गॉसिप मैगज़ीनें फिल्मों जितना ही धूमधड़ाका मचाती थीं।
  • उनकी नकारात्मक रिपोर्टिंग से रवीना की सेल्फ इमेज हिल गई।
  • ड्रेसिंग-रूम तक की दीवारें भी इन झूठे अपडेट्स से हिलने लगीं।

बॉलीवुड में बॉडी-शेमिंग से जूझना:

  1. ऐसे समय जब सोशल मीडिया मौजूद नहीं था, एक्ट्रेसेस को बार-बार खुद को साबित करना पड़ता था।
  2. चटपटे कमैंट्स और नफरत की सुनामी से गुजरना कोई आसान काम नहीं था।
  3. रवीना इस लड़ाई में अपनी हिम्मत से जीत हासिल करने वाली महिला की मिसाल हैं।

सोशल मीडिया के जमाने में भी, जो मंच बदल गया है, पर ड्रामा और बॉडी-शेमिंग जैसी बातें कहीं ना कहीं बनी हुई हैं।

रवीना टंडन की कहानी हमें याद दिलाती है:

  • कैसे पुराने ज़माने की बातें नए दौर के रंग में भी छिपी हुई हैं।
  • अपने आप से प्यार और आत्मसम्मान बनाए रखना कितना जरूरी है।
  • ड्रामा बीच-बीच में जरूर आता रहेगा, लेकिन हार कभी स्वीकार नहीं करनी चाहिए।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बॉडी-शेमिंग जैसी फिज़ूल बातें खत्म होंगी या नया अंदाज़ बनाकर आएंगी। पर एक बात तय है, रवीना ने साबित कर दिया कि शेमिंग से लड़कर भी चमकना संभव है।

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